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लेखनी कहानी -05-Feb-2023 एक अनोखी प्रेम कहानी

भाग 9 
शिव और सपना वापस घर आ गये । रास्ते में सपना एक गाना गुनगुनाने लगी कोई कैसे उन्हें ये समझाये 
सजनिया के मन में अभी इन्कार है 
जाने बलमा घोड़े पे क्यों सवार है 
जाने बलमा घोड़े पे क्यों सवार है ।। 
धीरे धीरे जतन करने से 
दुल्हनिया के खुलते हृदय के द्वार हैं 
जाने बलमा घोड़े पे क्यों सवार है 
जाने बलमा घोड़े पे क्यों सवार है ।। 

गाना बहुत सुंदर था और सपना की आवाज तो माशाल्लाह लाजवाब थी । वह भी पूरे तरन्नुम में गा रही थी जैसे वह अपने मन की बात इस गीत के माध्यम से कह रही हो । सपना की मीठी आवाज और उसके जजबात सुनकर शिव के हृदय को बड़ी ठंडक मिल रही थी । उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे जले हुए अंग पर कोई बर्फ का टुकड़ा मल रहा है । उसने सपना की ओर देखा मगर वह तो आंखें बंद कर गीत गाने में मग्न थी । शायद वह अपने "सांवरे" को अपनी आंखों में ही कैद करके रखना चाहती थी और इसी भाव से उसका रोम रोम प्रफुल्लित हो रहा था । देखने में एक स्त्री कितनी सीधी , मासूम, भोली और निर्दोष लगती है मगर वास्तव में वह क्या चीज है यह बात उसे बनाने वाला भी आज तक समझ नहीं पाया है , शिव की तो औकात ही क्या है ? सिगमंड फ्रायड ने स्वयं कहा है कि उसने तीस वर्ष स्त्री पर शोध किया है पर वह भी उसे जान नहीं सका है । 

सपना का गाना खत्म हुआ तो उसने मुस्कुरा कर शिव की ओर देखा और आंखों से पूछा "कुछ समझे जनाब, अभी उतावली ना करो । प्रेम को अभी और परवान चढ़ने दो । अभी तो लौ लगी है , इसे परिपक्व होने दो । एक दूसरे को समझने दो । दो दिलों को जुड़ने दो और जुड़कर एक होने दो । तब तक इंतजार करो । कुछ समझे" ? 

शिव की आंखों ने सपना की आंखों की भाषा पढ़ ली और अपनी बात एक गीत से बयां कर दी 

हम इंतजार करेंगे तेरा कयामत तक 
खुदा करे ये कयामत हो और तू आये 
खुदा करे ये कयामत हो और तू आये ।। 

जब तक इशारों में बात हो रही थी तब तक दोनों के दिल कमल की तरह खिल रहे थे । घर आया तो एक बार उन्हें सदमा सा लगा । घर पर मां का बंधन तो है ही ना । उनके सामने तो अनुशासन में रहना ही पड़ता है ना । सपना अपने कमरे में चली गई और सीधे बाथरूम में शॉवर लेने चली गई । शिव भी काफी थक गया था और पसीने तथा धूल से अट गया था इसलिए वह भी शॉवर लेने चला गया । 

शिव तैयार होकर बाहर छत पर आ गया । छत काफी बड़ी थी इसलिए वह टहलने लगा । सपना के मकान से सटे हुए कई सारे मकान थे पर सबकी छतें खाली पड़ी थीं । कोई नहीं था छतों पर । फिर भी शिव को लग रहा था कि कोई है जो उसे छुप छुप के देख रहा है । सामने तो कोई दिख नहीं रहा था पर शिव की "छठी" इन्द्रिय कर रही थी कि दो जोड़ी आंखें उसे देख रही हैं । शिव के बगल वाले मकान की छत पर एक कमरा बना था । शिव को लगा कि हो न हो इस कमरे से कोई देख रहा हो इसलिए उसने उस कमरे में अपनी आखें गड़ा दी थी पर उसे कुछ नजर नहीं आया । वह निराश हो गया और छत पर चहलकदमी करने लगा । जब उसे अपने चारों ओर कोई दिखाई नहीं दिया तो वह कमरे के अंदर चला गया और छुपकर पड़ौस के कमरे पर निगरानी करने लगा । 

दस पंद्रह मिनट के पश्चात उधर कुछ हलचल हुई । शिव का सारा ध्यान उधर ही था । अचानक उसने उस कमरे से निकलकर एक परछाई को जाते हुए देखा । यह पराछाई किसी औरत की लग रही थी । शिव के मन में एक प्रश्न कौंधा "कौन है यह औरत और वह छुप के उसे क्यों देख रही थी" ? उसने अपने दिमाग पर बहुत जोर दिया मगर इस प्रश्न का उसे कोई उत्तर नहीं मिला । वह बेताबी में छत पर इधर उधर चक्कर काटने लगा । 

इतने में सपना छत पर आ गई । वह नहा धोकर सज संवर कर आई थी । उसने आसमानी रंग की साड़ी और उसके मैच का एक स्लीवलेस ब्लाउज पहन रखा था । उसने बालों की चोटी बना रखी थी जो उसके नितंबों से नीचे लटक रही थी । उसके चलने से वह चोटी कभी बांयें नितम्ब को तो कभी दांयें नितम्ब को छू रही थी । ऐसा लग रहा था कि नितंबों पर वह चोटी इतनी मुग्ध हो गयी थी जैसे कि वह उन्हें बार बार छूना चाहती हो और दोनों नितंब जैसे कह रहे हों "पहले मुझे, पहले मुझे" । 
डीप गले का ब्लाउज उस पर बहुत फब रहा था । उसने साड़ी को इस करीने से बांधा था कि जिससे उसका वक्षस्थल और उभरकर सामने आ गया था । आसमानी साड़ी में वह आसमान से उतरी एक परी लग रही थी । उसके नेत्रों में एक विशेष चमक थी और चेहरे पर दृढ विश्वास नजर आ रहा था । रूप की आभा से उसका चेहरा दैदीप्यमान हो रहा था । उसने माथे पर एक छोटी सी बिंदी लगा रखी थी जो उसके मस्तक की शोभा को और बढा रही थी । उसके होठों पर हलकी लिपस्टिक लगी हुई थी यद्यपि सपना के होंठ प्राकृतिक रूप से लाल हैं पर शायद उसने उन्हें और अधिक आक्रामक बनाने के लिए ऐसा किया होगा । पैरों में पायजेब पहनी हुई थी जो उसके चलने से हल्के हल्के बज रहीं थीं । पायजेब की आवाज शिव को बहुत कर्णप्रिय लग रही थी । उसकी कलाई में हरी हरी चूड़ियां उसके लावण्य में चार चांद लगा रही थीं । आंखों में हल्का हलका सुरमा लगा हुआ था जो बरबस शिव को आकृष्ट कर रहा था । 
"आज इतनी सज धज कर क्यों आई है सपना" ? शिव सोचने लगा 
"क्या वह यह ठानकर आई है कि वह मेरा तप भंग कर देगी आज" ? उसके मन में अगला प्रश्न कौंधा । पर वह तो गाना गा रही थी कि अभी वह तैयार नहीं है , फिर वह बिजली गिराने क्यों आई है ? कुछ समझ नहीं आया शिव को । किसी ने सही कहा है कि स्त्री को तो देवता भी नहीं समझ सके मनुष्य की तो बिसात ही क्या है ? 

सपना चलकर सीधे शिव के सामने खड़ी हो गई । शिव की इच्छा हुई कि वह वहीं पर सपना को ऊपर से नीचे तक चूम डाले मगर खुली छत पर "रासलीला" असभ्यता की प्रतीक मानी जायेगी । फिर क्या पता सपना उसके धैर्य की परीक्षा लेने आई हो यहां ? उसने आगे बढकर सपना का हाथ अपने हाथों में लिया और उसे अपने कक्ष में ले आया 
"आज क्या कयामत ढाने का इरादा है या फिर हमारे संयम की परीक्षा लेने आई हो सपना रानी" ? शिव के मुंह से निकल ही गया । 
सपना शिव की आंखों में झांकते हुए बोली "वहां मंदिर में तो नारी मनोविज्ञान पर इतना ज्ञान बघार रहे थे । "छोटे" और "बड़े" का भेद समझा रहे थे । अब मेरा मनोविज्ञान मुझे ही समझाओ तो जानें" ? 
एक तो आदमी हुस्न के सम्मुख आधा ही रह जाता है क्योंकि यह कहा गया है कि हुस्न के सम्मुख पुरुषों की बुद्धि आधी रह जाती है और आधी बुद्धि स्त्री में चली जाती है । इस प्रकार स्त्री में पुरुषों की अपेक्षा तीन गुनी बुद्धि हो जाती है । तभी तो एक सुंदर स्त्री बड़े से बड़े बुद्धिमान मनुष्य पर शासन कर लेती है । "हुस्न" रानी है तो पुरुष की बुद्धि उसकी दासी । दासी सदैव रानी की गुलाम ही रहेगी उसकी मालकिन नहीं हो सकती है । अब शिव को इस हुस्न के जाल से बचना था , वह कैसे बचे इसी उधेड़बुन में लगा हुआ था । 
"आपने जवाब नहीं दिया मेरी बात का" सपना का स्वर फिर उभरा 
"किस बात का देवि" शिव दबे स्वर में बोला 
"यही कि पुरुषों के पैमाने पर क्या मेरा फिगर फिट बैठता है" ? 
अब उसने पहेलियां बुझाने के बजाय सीधे ही पूछ लिया था 
"फिट बैठता है ? अरे फिट क्या बैठता है, यह तो कयामत ढा रहा है । अब तुम्हें कैसे समझाऊं कि मेरी हालत कैसी हो रही है" ? शिव के स्वर में दीनता थी 
"कैसी हो रही है" ? सपना उसे आंखों से ही पी जाना चाहती थी 
"ऐसी हो रही है कि सामने हलवा रखा हो और उसे देखकर हमारे मुंह में पानी आ रहा हो मगर हम उसे खा नहीं सकते हों" शिव ने अपनी व्यथा का बखान कर दिया 
"पर क्यों ? किसने रोका है आपको" ? 
"हमारे बड़बोलेपन ने" 
"वो कैसे" ? 
"अरे, हम बार बार कह रहे थे न कि हम धैर्यवान हैं । जब हमने स्वयं को धैर्यवान घोषित कर दिया तो अब हम इस धैर्य को कैसे तोड़ सकते हैं" ? शिव के चेहरे पर बेबसी के भाव थे । शिव की बात सुनकर सपना बहुत जोर से हंसी । उसकी हंसी से पूरा कमरा आबाद हो गया । पूरा बदन कंपायमान हो गया । 
"ऐसे क्यों हंस रही हो" ? शिव ने झेंपते हुए पूछा 
"तुम्हारी हालत देखकर" वह फिर हंसी 
"मेरी हालत ? क्यों, उसमें हंसने जैसा क्या है" ? 
"ये तुम्हें पता नहीं चलेगा । दरअसल इस समय तुम्हारी हालत ऐसी हो रही है जैसे एक भूखे शेर के समक्ष एक हिरनी अचानक आ जाये और वह शेर उसका शिकार नहीं कर पाये । वैसी ही स्थिति आपकी है इस समय" 
"पर शेर शिकार क्यों नहीं कर पा रहा था" ? 
"उसके मुंह को जो बांध दिया था । फिर वह अपने शिकार को कैसे खाता" ? 
"अच्छा जी, यह बात है" अब शिव अपने असली रंग में आ गया था 
"जी यही बात है । अब तुम कुछ नहीं कर सकते हो मेरा" सपना उसे चिढाते हुए बोली 
"मोहतरमा, आप गलतफहमी में हैं । माना कि शेर का मुंह बंधा है पर उसके पंजे तो खुले हुए हैं । वह शिकार खा तो नहीं सकता है पर शिकार कर तो सकता है" अब शिव के चेहरे पर मुस्कान लौट आई थी । 
"अच्छा जी , ये बात है । पर आपने तो वादा किया था न कि ..." 
"हां, मैंने वादा किया था कि मैं कुछ गलत नहीं करूंगा । तो मैं अपने वादे पर अभी भी कायम हूं पर मैंने ऐसा कोई वादा नहीं किया कि मैं छेड़छाड़ भी नहीं करूंगा" ? शिव शरारत पर उतर आया था । सपना भी इसीलिए उसके पास आई थी कि वह उसके साथ छेड़छाड़ करे , शरारत करे । थोड़ी छीना झपटी करे । इसी में तो मजा आता है उसे । स्पर्श का भी अपना अलग ही आनंद है । दोनों घुड़मस्ती करने में मशगूल हो गये । 

श्री हरि 
12.2.23 

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4 Comments

Gunjan Kamal

13-Feb-2023 11:56 AM

बेहतरीन

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Hari Shanker Goyal "Hari"

13-Feb-2023 04:37 PM

धन्यवाद मैम 💐💐🙏🙏

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अदिति झा

12-Feb-2023 07:22 PM

Nice 👍🏼

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Hari Shanker Goyal "Hari"

12-Feb-2023 10:29 PM

💐💐🙏🙏

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